पति पत्नी संबंध सुदृढ़ कैसे बनाएँ


 




हर कोई यह तो चाहता है कि पति पत्नी संबंध सुदृढ़ हों, आपस में झगड़े कम व प्रेम अधिक हो, परंतु उसके लिए प्रयास करने में कहीं न कहीं लापरवाही बरती जाती है। इससे पिछले लेख में पति पत्नी के बीच झगड़े के मुख्य कारणों को बताया गया। उन कारणों को दूर करके पति पत्नी का रिश्ता मज़बूत व प्रेमपूर्ण अवश्य बनाया जा सकता है। इसमें दोनों का ही योगदान आवश्यक है।  



पति पत्नी का रिश्ता


एक दूसरे का सम्मान करें

पति और पत्नी का प्यार बना रहे, इसके लिए एक-दूसरे का सम्मान करना बहुत आवश्यक है। दूसरे को अपमानित करके आप सम्मान पाने की अपेक्षा नहीं रख सकते। बात-बात पर पति का पत्नी पर हाथ उठाना या गाली-गलौच करना निचले स्तर का काम है। पत्नी द्वारा अपने रिशतेदारों या सहेलियों के बीच अपने ही पति की बुराइयाँ करना उचित नहीं है। इससे पति पत्नी संबंध खराब होने लगते हैं। जो पति पत्नी आपस में लड़-झगड़ रहे हैं वे इस बात का ध्यान रखें कि अपना दोष दूसरे पर न रखें। संसार चलाने के लिए बुद्धि व समझदारी की आवश्यकता है।

वह अच्छा पति नहीं है जो घर में कमाकर नहीं लता या फिर जो कमाता है वह बाहर ही उड़ा देता है। बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता। ऐसे ही पति पत्नी कि उपेक्षा के पात्र बनते हैं। पत्नी क्या चाहती है इस पर पति ध्यान दे। उसकी जो भी इच्छाएँ होती हैं उसे पूरा करने का प्रयास करे। पत्नी को साथ लेकर चलें, उसकी भावनाओं को समझें, वह जो कहती है उसका कहना मानें।

और पति ने पत्नी को जो काम सौंपा हो वह काम पत्नी पूर्ण करके दिखाये। पति को यह मौका न मिले कि वह क्रोध में आकर गलत कदम उठाए। जो पत्नी अपने पति को योग्य दर्जा देती है, ऐसी पत्नी के पति ने उसका सम्मान किया है।

दोनों को ही कभी अपने अधिकारों का प्रयोग करना होगा और कभी अपने अहं को परे रखकर झुकना भी होगा। छोटी-छोटी बातों पर तू-तू मैं-मैं करने के स्थान पर तालमेल बिठाकर घर-गृहस्थी चलनी होगी। एक-दूसरे को समझना, एक-दूसरे पर विश्वास करना, एक-दूसरे का कहना मानना और एक-दूसरे की गलतियाँ स्वीकार करने से ही पति पत्नी का प्रेम और बढ़ता है।

परंतु यहाँ पर ही व्यक्ति हार-जीत का फैसला कर लेते है। पति पत्नी संबंध सुदृढ़ बनाने के लिए केवल दोनों ही आपस में सम्झौता कर सकते हैं। घर बर्बाद होने से पहले दोनों को ही सोच-समझकर काम लेना चाहिए। 

पति पत्नी का प्रेम



घर की ज़िम्मेदारियाँ निभाएँ 

घर चलाने के लिए प्रतिदिन उसे घर खर्च दें या महीने का खर्च उसके सुपुर्द करें। घर कैसे चलाना है इसकी जानकारी पत्नी को है, पति को नहीं। अपने वेतन का कुछ हिस्सा पत्नी के बजट के लिए रखिए। पति को यह भी सोचना चाहिए कि वह अपनी कमाई को बढ़ाता रहे।

पत्नी यदि छोटी-छोटी वस्तुओं के लिए पड़ोसी के घर जाकर मांग करे तो यह उचित नहीं है। हाँ, यदि आवश्यकता होने पर कोई वस्तु अपने घर में नहीं है तो हर कोई अपने पड़ोसी से उस वस्तु की मांग करता ही है। जो तर्कसंगत भी है।

पति अपने घर को चलाने के लिए कर्ज़दार न बनें। घर-परिवार में लगने वाली वस्तुएँ उधारी में न खरीदें। वस्तुएँ नगद राशि खर्च करके खरीद कर लानी चाहिए। इससे दुकानदार के पास आपकी प्रतिष्ठा बनी रहती है। आपका सबसे पहला प्रचारक दुकानदार ही है। आपके मोहल्ले में दुकानदार ही बता सकता है कि आपके व्यवहार कैसे हैं।

इसके अतिरिक्त घर गृहस्थी से जुड़ी अन्य ज़िम्मेदारियों का निर्वहन भी उचित रूप से करें। पति पत्नी दोनों ही घर से जुड़ी ज़िम्मेदारियां आपस में बाँट लें, जैसे किराने का सामान खरीदना, बिजली पानी का बिल भरना, बच्चों के स्कूल से जुड़ी जिम्मेदारियाँ, घर के दैनिक कार्यों को करना, आदि-आदि।

यदि दोनों ही कमाने के लिए घर से बाहर जाते हैं तो जिम्मेदारियों को बांटना और भी आवश्यक हो जाता है। इससे किसी एक पर बोझ नहीं पड़ता और झगड़े होने की संभावना नहीं होती।

बच्चों के भविष्य पर ध्यान दें 

संतान पति पत्नी संबंध की ऐसी कड़ी होती है जो दोनों को किसी भी परिस्थिति में एक दूसरे से जोड़े रखती है। इसलिए पत्नी पति अधिक से अधिक अपने बच्चों की तरफ ध्यान दें। कमाई का व काम का समय पूरा होने के बाद बाकि का समय बच्चों के लिए देना चाहिए। क्योंकि बच्चों का भविष्य बनाना है तो उसमें सक्रिय रूप से पति पत्नी को बच्चों को अपने सानिध्य में रखना आवश्यक है। अन्यथा बच्चे बर्बाद हो जाएंगे।

बच्चे भले ही आपके हैं पर वे राष्ट्र की धरोहर हैं। उन्हें अच्छा खिलाना-पिलाना और उनकी उच्च शिक्षा पर ध्यान देना, यह तब ही संभव है जब आपकी पत्नी आपका साथ दे। पत्नी तब ही साथ देगी जब उसका पति उसके लिए आदर्शवादी बनें। स्वयं में जो अहंकार है उसे अपनी पत्नी के चरणों में डाल दीजिये।

संस्कारों का प्रभाव आपके बच्चों पर पड़ता है। इसलिये कहा जाता है कि विवाह करें तो संस्कार वाले घर में ही करें। संस्कार वाले घर को ढूँढने के कारण विवाह के लिए कभी कभी विलंब तो होता है, पर विवाह पक्का हो जाता है। आप स्वयं दोषों से मुक्त रहिए। जीवन बहुत सरल है, परंतु इसे सरल बनाए रखना कठिन है।

पत्नी की अपेक्षाएँ 

आपकी पत्नी भी आपकी प्रशंसा चाहती है। अनेक महिलाएं अपने पति पर गर्व करती हैं। अपने पति की पूजा करती हैं, पति को आदरणीय समझती हैं। पति के घर आने की प्रतीक्षा करती हैं। जब तक पति घर नहीं आएगा तब तक वह भोजन नहीं करती। अपने पति के संबंध में कोई ग़लत शब्द प्रयोग करता है तो उसे वह स्वीकार नहीं करती है।

कारण कि ऐसी महिलाओं के पति आदर्शवादी स्वभाव के होते हैं। पत्नी के साथ कभी झूठ नहीं बोलते। कभी सिगरेट-शराब का सेवन नहीं करते। महीने भर की सारी कमाई विश्वास के साथ अपनी पत्नी के हाथों में रखते हैं। ऐसे ही परिवारों में पति पत्नी संबंध मधुर बने रहते हैं और ऐसे ही परिवार आगे बढ़ते हैं । उनकी संतान भी उच्च शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ती है। 

ऐसी स्थिति कभी मत बनने दें कि घर छोटी-मोटी बात को लेकर बर्बाद हो जाए। पति पत्नी संबंध जितने मधुर होंगे, उतना ही आनंद जीवन में बना रहेगा। घर में कलह-क्लेश न हों तो इससे बड़ी शांति और क्या हो सकती है।

पति पत्नी के बीच झगड़े



पति पत्नी का रिश्ता एक महत्वपूर्ण रिश्ता होता है। परंतु आज हम देख रहे हैं कि समाचार पत्रों व चैनलों पर आए दिन ऐसी घटनाएँ पढ़ने-सुनने को मिल रही हैं जो पति पत्नी के बीच झगड़े से जुड़ी होती हैं। झगड़े होना एक आम बात है, एक साधारण समस्या है। परंतु कभी-कभी यह साधारण समस्या भी बहुत बड़ा रूप धारण कर लेती है। जैसे पति ने पत्नी को मार डाला या पत्नी ने पति को ज़हर दे दिया अथवा पति ने पहली प्रेमिका के साथ मिलकर या पत्नी ने पहले प्रेमी के साथ मिलकर एक दूसरे की हत्या करवा दी या फिर स्वयं को फांसी लगा कर अपनी जान दे दी।  


पति पत्नी संबंध


दोनों एक-दूसरे को समझने का प्रयास कम करते हैं और आरोप-प्रत्यारोप अधिक लगाते हैं। ऐसा कोई घर नहीं होगा जिस घर में पति पत्नी के झगड़े न होते हों। पर समझदारी यही है कि प्रेम व मेल-मिलाप स्थापित करने का प्रयास किया जाए। आरंभ में दोनों के बीच कलह छोटी-छोटी बातों को लेकर शुरू होती है। कुछ वर्षों बाद आदमी या औरत के दिमाग में इतना तनाव आ जाता है कि उसका अंतिम परिणाम दु:ख या अपराधिकरण में बदल जाता है।


पति पत्नी के बीच झगड़े के मुख्य कारण

घर की ज़िम्मेदारियों का निर्वहन न करना

वास्तविकता यदि देखी जाए तो विवाह के बाद पति-पत्नी साथ मिलकर घर-घृहस्थी कैसे चलाएँ, इसका उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं होता और छोटी-छोटी बातों पर उनमें वाद-विवाद होता रहता है। यदि पति अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहता है तो पत्नी भी घर-गृहस्थी से मुंह मोड़ने का प्रयास करती है।

घर-गृहस्थी की समस्याएँ अनेक हैं। पर अंत में वही होता है जो कभी नहीं होना चाहिए। स्कूल भेजने से लेकर स्कूल से घर आने तक बच्चों की समस्या, फिर स्कूल से शिकायत की समस्या, यदि मकान किराए का हो तो मकान मालकिन या मालिक से वाद-विवाद, पड़ोसी से वाद-विवाद, आदि-आदि।

पति द्वारा पत्नी की घरेलू समस्या हल की जाती है तो पत्नी ने पति को स्वतंत्र रूप से अपने कार्य को करने देना चाहिए। यदि पत्नी किसी प्रकार की रोक-टोक करती है तो पति को खलने लगता है। क्योंकि पति और पत्नी का प्यार का रिश्ता ही पति को हर प्रकार से मजबूर कर देता है।

कम कमाई और बढ़ती महँगाई

कलह, झगड़े और विवाद के सबसे बड़े कारण हैं बढ़ती हुई महंगाई और घटती हुई कमाई। प्रति माह जितनी आय है उसमें घर खर्च नहीं चलता है और आए दिन बढ़ती महंगाई की समस्या कैसे दूर की जा सकती है इसके पर्याय नहीं ढूँढे जाते। इसलिए पति-पत्नी किसी न किसी बात पर आपस में झगड़ते रहते हैं।

पत्नी को भी जब सारा दिन काम करके सुख नहीं मिलता और पति की कमाई से घर नहीं चलता तो वह भी घर से बाहर काम करके पैसे कमाना चाहती है। परंतु वह सब संभव नहीं हो पता। इसी बात पर पति-पत्नी में विवाद चलता रहता है।

बहुत से परिवारों में ज़मीन-जायदाद के बँटवारे से संबन्धित वाद-विवाद में घर बर्बाद होते हैं। बहुत से परिवारों में न ज़मीन होती है न धन-संपत्ति, वहाँ पर भी पति को कोसा जाता है।

एक-दूसरे को समझना बहुत कठिन है, परंतु एक-दूसरे को समझने से ही घर की समस्या हल हो सकती है और तभी पति और पत्नी का प्रेम एक दूसरे पर बना रह सकता है। 

अशिक्षा 

अशिक्षा भी पति पत्नी के बीच झगड़े का एक प्रमुख कारण है। क्योंकि अधिकतर पढ़ा-लिखा मनुष्य या महिला सभ्यता व मान-मर्यादा को समझते हैं। वे अगर आपस में लड़ते भी हैं तो केवल चार दीवारी के भीतर। पर अब माहौल इतना खराब हो गया है कि पूरा लड़ाई-झगड़ा सड़कों पर उतर आता है।


विश्वास की कमी 

शक एक ऐसी बीमारी है जो तन-मन को खोखला बना देती है और इसका कोई इलाज नहीं है, न कोई दवाई है। अनेक परिवार इस कारण बर्बाद हो चुके हैं। इसके लिए भी कोई पर्याय नहीं है।

जब पति-पत्नी एक-दूसरे को शक की नज़र से देखते हैं तो कभी-कभी वह शक यथार्थ में बदल जाता है और पति पत्नी के बीच झगड़े का कारण बनता है। पत्नी पति को अपने आदेशों का पालन करने को मजबूर करती है कि इससे मत बोलना, उससे मत बोलना। पति चाहता है कि पत्नी यदि लड़ाई-झगड़े करके पास-पड़ोसी से संबंध बिगाड़ लेती है तो मैं भी क्यों उसकी तरह बिगाड़ लूँ। क्योंकि वह सब के साथ मिल-जुलकर रहना चाहता है। 

पत्नी के साथ पति भी उतने ही दोषी होते हैं जितनी की पत्नी। पति जैसे यह पसंद नहीं करता कि पत्नी अन्य पुरुषों के साथ न तो बातचीत करे और न ही किसी से घनिष्ठ संबंध बनाए, इसी तरह पत्नी भी चाहती है कि पति का संबंध अन्य किसी महिल के साथ न हों।

इसमें स्वयं समझदारी दिखाना आवश्यक है। एक-दूसरे पर विश्वास करना बहुत आवश्यक है। अपने मन को समझाना पड़ता है और क्षमता रखनी पड़ती है। हर समझौते के लिए एक विशेष उम्र की आवश्यकता होती है और अनुभव की भी।

अवैध संबंध बनाना 

आज यह सामान्य सी बात हो गयी है कि एक दूसरे से छिप-छिप कर रिश्ते बनाए जा रहे हैं। इसमें शारीरिक एवं मानसिक आनंद का अधिक हिस्सा है। परंतु ऐसे सम्बन्धों से न केवल पति पत्नी के बीच झगड़े होते हैं बल्कि रिश्ते टूटते हुए दिखाई देते हैं। अब यह कोई कहने वाली बात नहीं है। न चर्चा का विषय है। परंतु देश का माहौल अवैध सम्बन्धों के मामलों में बहुत खराब हो चुका है। 

तहसील क्षेत्र या ज़िला क्षेत्र में शायद इतना खुलापन नहीं दिखाई देता है। परंतु दिल्ली मुंबई जैसे शहरों की स्थिति बहुत ही गंभीर है। पार्क व सड़कों पर युवक-युवतियाँ मौज-मस्ती करते हुए दिखाई देते हैं। किसका रिश्ता किसके साथ क्या है, यह कहना असंभव है। उनमें वह लोग भी हैं जो विवाह करके तलाक के नाम पर एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं। पत्नी अपने चरित्र को भूल गयी और पति अपने कर्तव्यों को भूल गए हैं।

अधिकतर पुरुष अपने ही खास रिश्ते की महिलाओं से संबंध रखते हुए पाए जाते हैं। जैसे कि पति की छोटी या बड़ी बहन के साथ अथवा दूर के रिश्ते की बहनों से, पास-पड़ोस में, आदि। आरंभ में यह सामान्य रिश्ते दिखाई देते हैं। पश्चात घनिष्ठता बढ़ती है। अंततः अवैध संबंध बन जाते हैं। वहाँ पर पत्नी के हृदय को ठेंस पहुँचती है। फिर भी पति यही कहता है – “क्या बेकार की बातें कर रही हो? मुझ पर शक करने के अलावा तुम्हें और कुछ काम नहीं आता है क्या?” परंतु इसी तरह महिलाएं भी इन कार्यकलापों में लिप्त पायी जाती हैं।

इस आपाधापी में लोगों के घर बर्बाद हो गए हैं। कई पत्नियाँ या तो अपने आप को क्षति पहुंचा चुकी हैं या फिर ससुराल छोड़कर मायके जा बैठीं। सभी रिश्ते सभी संबंध पति पर ही निर्भर करते हैं। परंतु यह भी स्वाभाविक है कि पत्नी को पति के अलावा और भी दूसरे लोग पसंद करते हैं, पति को भी दूसरी महिलाएं चाहने लगती हैं।

प्रेम विवाह की वस्तुस्थिति

अंतिम बात आती है प्रेम विवाह करने वालों की। प्रेम विवाह करने वाले अपने आपको बहुत ही भाग्यशाली समझते हैं। लड़का समझता है कि मुझे मन जैसी लड़की मिल गयी है। लड़की समझती है कि मुझे योग्य लड़का मिल गया है। अंततः दो-चार महीनों के बाद पति पत्नी के बीच झगड़े व कलह आरंभ होते हैं और फिर तलाक तक बात पहुँच जाती है। देश के न्यायालयों में सबसे अधिक केस तलाक लेने वालों के ही लंबित हैं। इस बीच पत्नी ने और कोई ढूंढ लिया, वही काम पति ने भी किया, बच्चे मात्र परेशान हैं। समाज और बीरदारी में चर्चा हो रही है।

प्रेम विवाह करने वाले सबसे अधिक भारतीय फिल्मों से प्रभावित होते हैं। फिल्में मनोरंजन का साधन हैं। इसे जीवन से न जोड़ें और ऐसी घटनाओं से बचें।


कौन है अधिक ज़िम्मेदार ?

पुरुषों ने हमेशा स्त्रियों पर आरोप लगाए हैं कि मेरी औरत गलत है, उसके आचरण व आदतें ठीक नहीं हैं, वह चरित्रहीन है, आदि। साथ-साथ दस-बीस गालियां भी जोड़ ली जाती हैं। जो स्त्री सुंदर है उस पर पर पुरुषों की नज़रें पड़ती रहती हैं और वह जब पर पुरुषों से आँखें मिलाकर बात करती है तो उसे चरित्रहीन कहा जाता है। यह ठीक नहीं है। इस पर पति के पारिवारिक संस्कार निर्भर करते हैं।

विवाह के बाद जब पत्नी अपने पति को समझने का प्रयास करती है उस समय पति धोखेबाज़ व झूठे निकल आते हैं। विवाह के पहले कहा जाता है कि उसके पास अपना मकान है, पर बाद में पता चला कि वह किराए पर रहता है। बैंकों में जमा पूंजी बताता है, पर अनेक महाजनों से कर्ज़ा लिया हुआ है। मैनेजर की नौकरी बताकर टाई-कोट पहनता है और वेटर की नौकरी करता है। यह सारा यथार्थ जब पत्नी सुन लेती है तो घर में कलह आरंभ होता है।

कईं बार यह भी देखने को मिलता है कि महिलाओं की आशा व इच्छा बहुत हैं। परंतु कभी-कभी उनके आदमी उनके शौक पूरे नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में वह  अपने पति पर क्रोध या गुस्सा निकलती रहती है। पुरुष तो कमाते-कमाते कोल्हू के बैल जैसा बन गया है।

वस्तुतः पति पत्नी के बीच झगड़े के लिए दोषी मुख्यतः पुरुष को ही माना जाता है। झगड़े की जड़ यदि पुरुष है तो उसका हल निकालने के बजाए दु:खों में समापन करना, इसका कारण भी पुरुष ही हैं। परंतु पुरुष कब तक शोषण करता रहेगा, यह भी एक प्रश्न है। ऐसे में दोनों को एक-दूसरे को समझने की आवश्यकता है।

क्या हो समाधान ?

झगड़े होने के पीछे कारण कोई भी क्यों न हो, उस कारण को दूर करके पति पत्नी का रिश्ता मज़बूत व प्रेमपूर्ण अवश्य बनाया जा सकता है। इसमें दोनों का ही योगदान आवश्यक है। पति पत्नी के बीच झगड़े कम हों तथा संबंध मज़बूत हों, इसके लिए पढ़ें यह लेख - पति पत्नी संबंध सुदृढ़ कैसे बनाएँ

झारखंड का इतिहास



झारखंड पूर्व में बिहार प्रांत का ही भाग था। सन 2000 में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में बिहार का बंटवारा हुआ और अब झारखंड को अलग प्रांत बने हुए सत्रह वर्ष पूरे हो चुके हैं। परंतु इस प्रांत की जनता को यहाँ विकास कहीं पर भी नज़र नहीं आ रहा है। झारखंड का इतिहास जब भी चर्चा का केंद्रबिंदु होता है तो यहाँ का मीडिया सदैव यह प्रश्न उठाता रहता है कि झारखंड के विकास के लिए और कितना समय लगेगा? 


झारखंड का इतिहास

महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात की सड़कें ही उन राज्यों का प्रगतिशील विकास का आईना है। उद्योग, कृषि और जनता की मेहनत तथा साथ-साथ कुशल प्रशासन व्यवस्था ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात को प्रगतिशील राज्य बनाया है, जबकि इन राज्यों में भी संसाधन नाम मात्र के ही हैं।

इसके विपरीत इस राज्य में अनगिनत संसाधन हैं, यहाँ की ज़मीन में खनीज़ सम्पदा प्रचुर मात्रा में है। फिर भी यहाँ कोई विकास नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि सम्पूर्ण रूप से उस खनीज़ पदार्थ का उपयोग नहीं किया जा रहा है। 

झारखंड


उद्योग जगत से यहाँ का विकास अवश्य हो सकता है। परंतु औद्योगिक संभावनाएं होने के पश्चात भी झारखंड सरकार व प्रशासन की कोई पहल दिखाई नहीं दे रही है। विशेषज्ञों का यह मानना है कि औद्योगिक विकास के लिए झारखंड अभी भी एक प्रतिशत भी आगे कदम बढ़ाता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।  

बुनियादी सुविधाओं का अभाव


प्रश्न झारखंड की सड़कें बनाने का है। शहरों को गाँव से जोड़ने का काम सड़कें ही करती हैं। जब तक गाँव के रास्ते पक्की सड़कों द्वारा शहरों तक नहीं पहुंचेंगे तब तक गाँव का भी विकास नहीं होगा। जब गाँव के लोग गाँव छोड़कर शहरों में बसने लगेंगे, तब गाँव उजड़ेंगे और शहर नर्क बन जाएंगे। यही अवस्था आज पूरे भारत देश की बन गयी है। झारखंड के निवासी जो सोच रहे हैं वे सही सोच रहे हैं। झारखंड में सड़कें बनाने के लिए पत्थरों की कमी नहीं है। सड़कें आसानी से बन सकती हैं। 

इसके अतिरिक्त पीने का पानी, बिजली, परिवहन व्यवस्था व न्याय व्यवस्था से भी यहाँ के लोग खुश नहीं हैं। लोगों का मानना यह है कि सभी व्यवस्थाओं के होने के पश्चात भी प्रशासन में इच्छाशक्ति का अभाव क्यों है? यह सबसे बड़ा कारण है।

लोगों का यह भी मानना है कि सरकार फण्ड की राशि भी खर्च नहीं कर पा रही है। जबकि फण्ड बहुत है, परंतु उसे समय पर खर्च नहीं किया जा रहा है।

झारखंड का भूगोल

उद्योगपति वर्ग अपना धन उसी राज्य में खर्च करता है जहां उसे अपनी पूंजी डूबने की आशंका नहीं होती। यह भी कटाक्ष किया जाता है कि उद्योगों के लिए कोई भी ज़मींदार अपनी ज़मीन देने के लिए तैयार नहीं है, परंतु प्रशासनिक व्यवस्था का यह कहना गलत है। राज्य में उद्योग लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण की कोई समस्या नहीं है। उद्योग के लिए बंजर ज़मीन का प्रयोग किया जाए तथा उपजाऊ ज़मीन फसल उगाने के लिए प्रयोग में लाई जाए। 

झारखंड का भूगोल


यही काम तो महाराष्ट्र एवं गुजरात के प्रशासन व्यवस्था ने किया और प्रशासन को भी ज़मींदारों व किसानों ने भरपूर सहयोग दिया। झारखंड के एक समाचार पत्र ने हैदराबाद शहर का उदाहरण देते हुए लिखा - “हैदराबाद के चारों तरफ पहाड़ी क्षेत्र है। पहाड़ी क्षेत्र को काटकर खूबसूरत सड़कें बनाई गई हैं और सड़कों के दोनों तरफ पक्के मकान बनाए गए हैं। ऐसी परियोजना झारखंड में भी अपनाई जा सकती है।”

सुरक्षा का प्रश्न

झारखंड की मूल समस्या क्या है? यहाँ पर प्रमुखता से नकसलवाद की समस्या है। निवेशक यहाँ पर धन खर्च करने व लाभ कमाने के इच्छुक तो हैं, परंतु सुरक्षा के लिए उनकी चिंता अधिक है। उद्योगपतियों को झारखंड में उनके अपहरण होने का डर है। यहाँ तक कि सड़कें बना रहे मज़दूर व अधिकारियों का भी अपहरण किया जाता है। यदि सरकार श्रमिक मज़दूरों, निवेशकों व उद्योगपतियों की जवाबदारी नहीं लेगी तो अपना जीवन व्यर्थ करने के लिए झारखंड की धरती पर कौन रहेगा? झारखंड में अनेक परियोजनाएं एवं उद्योग बंद पड़े हैं। जिन उद्देश्यों के लिए झारखंड अलग हो गया, वे उद्देश्य अभी भी अधूरे रह गए हैं। आज जहाँ नागरिकों की आवश्यकताएँ पूरी करनी चाहिए वहाँ नेता अपना धरातल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। 

झारखंड के कुछ युवाओं के व्यक्तिगत विचार इस प्रकार हैं-

1. झारखंड राज्य में एक विश्वसनीय सरकार के गठन की आवश्यकता है और राज्य के सभी लोगों को एकजुट होकर यहाँ का विकास करने के लिए वचनबद्ध होना चाहिए। 

2. शिक्षा प्रणाली विकास की महत्वपूर्ण कड़ी है, जो कि झारखंड में नहीं है। राज्य में 65 प्रतिशत अशिक्षित लोग हैं, जिन्हें रोज़गार, कृषि और सामाजिक ज्ञान का अनुभव नहीं है।  

3. राज्य में सब कुछ है पर सिंचाई की स्थिति नहीं के बराबर होने के कारण उपजाऊ भूमि भी बंजर घोषित की जा रही है। पर समय से पहले नदी, नाले, पहाड़ व जंगलों की उपयोगिता समझकर विकास मार्ग ढूँढना चाहिए। 

4. यहाँ उद्योग व्यवसाय स्थापित तो होते हैं पर अधिक समय तक चल नहीं पाते, जिस कारण जनता को लाभ नहीं मिल पाता। सरकार को इस व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। 

5. यहाँ खनिज़ सम्पदाओं का प्रचुर मात्रा में भण्डार है। इसका उपयोग कर हर व्यक्ति को रोज़गार मिल सकता है व हर घर में चूल्हा जल सकता है। 

उपरोक्त बिन्दुओं पर ध्यान देकर सभी को एक साथ काम करना होगा, तभी विकास संभव होगा और झारखंड का इतिहास बदलेगा।