कठिन परिश्रम और धैर्य से मिलती है सफलता


सफलता  के  लिए  जो  विशेष  गुण  माने  जाते  हैं  उन  गुणों  का  होना  अत्यंत  आवश्यक  हैजैसे  कि  प्रामाणिकताज़िद्दकठिन  परिश्रमजिज्ञासा, धैर्य  के  साथ - साथ  आत्मविश्वासजिस  व्यक्ति  में  यह  सब  गुण  हैं  वह  व्यक्ति  अपने  जीवन  को  सामान्य  से  महत्वपूर्ण  बना  सकता  है.  क़ुछ  लोगों  में  ऐसे  व्यसन  होते  हैं  जिनसे  छुटकारा  नहीं  मिल  पाताजब  कष्ट  उठाने  की  बात  आती  है  तो  किसी    किसी  कारण  टाल - मटोल  किया  जाता  हैयह  असफलता  का  कारण  होता  हैसमय  का  सदुपयोग  नहीं  किया  तो  जीवन  में  केवल  असफलता  हैइसलिए  आज  अधिकतर  लोग  असफल  हैं.  

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बहुत  से  लोग  तृतीय  या  चतुर्थ  श्रेणी  की  नौकरियाँ  करने  की  तरफ  ध्यान  नहीं  देते  हैंयोग्यता  होने  के  पश्चात  भी  फॉर्म  नहीं  भरते  हैंउम्र  निकलने  तक  ऊंचे  पद  की  आशा  में  धक्के  खाते  रहते  हैंअंततः  उनके  हाथों  में  शून्य  होता  हैजब  छोटी  नौकरी  हाथ  में  होगी  तो  पदोन्नति  उसी  छोटे  पद  से  ऊपर  के  पद  पर  होनी  हैफिर  छोटे  से  पद  से  ही  शुरुआत  क्यों  न  की  जाए?  

मनुष्य  का  जीवन  क्या  है  यह  समझना  बहुत  कठिन  हैव्यक्ति  का  जीवन  बालपन  से  ही  बनता  हैजीवन   में  जितना   भी  विकास  हुआ  है  उसकी  शुरुआत  बालपन  से  ही  होती  हैजो  लोग  अपने  जीवन  में  कुछ  नहीं  कर  पाये  वे  अपने  जीवन   को  तो  भूल  जाते  हैं  पर  अपने  बच्चों  का  भविष्य  बनाने  में  लग  जाते  हैं. आपको  भारत  देश  में  ऐसे  अनेक  उदाहरण  मिलेंगे  कि  जो  व्यक्ति  उच्च  शिक्षा  प्राप्त  करके  उच्चाधिकारी  बन  गए  उनके  माता - पिता  साधारण  लोग  थेजैसे  हेड  क्लर्कहेड  मास्टरअध्यापक  यहां  तक  कि  चपरासी  आदिइस  तरह  के  छोटे  कार्य  करके  उन्होंने  अपने  बच्चों  को  उच्च  शिक्षा  प्रदान  की  और  उनके  बच्चे  योग्य  व  वरिष्ठ  अधिकारी  बन  गए.   लड़कियों  को  उच्च  शिक्षा  दी  और  उनकी  बेटियां  धनी  परिवार  में  ब्याही  गयीं.

जब  तक  एक  पीढ़ी  त्याग  की  भावना  नहीं  अपनाएगी  तब  तक  दूसरी  पीढ़ी  अपना  जीवन  स्तर  उच्च  दर्जे  का  नहीं  बना  सकतीआज  हर  काम  में  स्पर्धा  हैस्पर्धा  में  रूचि  रखना  जीवन  के  विकास  का  हिस्सा  बन  गया  हैसमय  ऐसा    गया   है  कि  जनरल  नॉलेजकंप्यूटर  ट्रेनिंगकम्पटीशन  यह  सब  जीवन  का  हिस्सा  बन  गए  हैग्रामीण  बच्चे  शहर  की  तरफ   यह  सब  प्राप्त  करने  के  लिए  भाग  रहे  हैंभले  ही  उनकी  आर्थिक  परिस्थिति  गरीबी  की  हो  परन्तु  उनमें  उन्नति  का   रास्ता  हासिल  करने  का  जज़्बा  हैइसके  अतिरिक्त  जीवन  में  कुछ  नहीं  हैहर  कला  हर  ज्ञान  समय  के  साथ - साथ  हस्तगत  की  जाती  हैजिन्होंने  समय    सुअवसर  खो  दिए  वे  जीवन  में  निराश  दिखाई  देते  हैं.

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ऐसे  ही  लोग  जीवन  भर  कुछ  नहीं  कर  पाये  और  अंततः  पश्चाताप  करते  रहेकोई  भी  काम  करते  समय  उस  काम  के   प्रति  मन  में  शंका  नहीं  होनी  चाहिए  और  उस  काम  के  लिए  अनुभव  चाहिए  तथा  दिखाने  के  लिए  प्रमाण  भी  होने  चाहिए.

बच्चे  एक  ही  परीक्षा   बार - बार  दे  चुके  हैंफिर  भी  पास  नहीं  हुएइसका  कारण  मात्र  पढ़ाई  न  करना  हैकुछ  परीक्षाएं  ऐसी  भी  हैं  जिनमें  पांच  या  दस  प्रतिशत  विद्यार्थी  ही  उत्तीर्ण  हो  पाते  हैंअपने  शैक्षणिक  जीवन  में  यदि  विद्यार्थियों  को  उत्तीर्ण  होना  है  तो  उसके  लिए  एकाग्रता  से  तह  तक  अध्ययन  करना  चाहिएजब  तक  शिक्षा  नहीं  पाओगे  तब  तक  भटकते  रहोगे  या  दूसरों  पर  निर्भर  रहोगेफिर  जीवन  में  यश  प्राप्त  करना  है  तो  उसके  लिए  जीवन  में  संघर्ष  करना  पड़ता  है. 


जीवन  में  संकट  भी  बहुत  आते  हैंसंकटों  का  सामना  करना  पड़ता  हैइसी  में  जीवन  की  सफलता  हैअच्छा    स्वादिष्ट  भोजन  सबको  नहीं  मिलतासबकी  पत्नियां  सुन्दर  नहीं  हैंसबका  रहन - सहन  प्रशंसनीय  नहीं  हैइसी  कारण  समाज  में  भेदभाव    वर्गीकरण  हैअपने  करियर  को  कैसे  संवारना  हैयह  स्वयं  सोचना  पड़ेगा  और  संयम  प्रमाणित  करके  दिखाना  पड़ेगा 

आलस्य  मनुष्य  का  शत्रु  हैआलसी  व्यक्ति  के  सामने  यश  नहीं  अपयश  होता  हैअंततः  वह  यह  कहकर  टाल  देता  है  की  मेरा  नसीब  ही  नहीं  हैइसमें  नसीब  का  कोई  दोष  नहीं  हैदोष  आलस्य  का  है.  इसलिए आलस्य का त्याग करें व पूरी लगन से कठिन परिश्रम करते रहिये और धैर्य बनाए रखें। आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी।



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महान गायिका शमशाद बेगम

शमशाद  बेगम  का  जन्म  14  अप्रैल, 1919  को  अमृतसर   में  हुआ  था.  आज  के  ज़माने  में  शमशाद  बेगम  को  बहुत  कम  लोग  जानते  हैं. पर  जब  संगीत  और  सिनेमा  उभर  कर  आने  लगा  था  तब  शमशाद  बेगम  का  नाम  गायिकाओं  की  श्रेणी  में  सबसे  ऊपर  था.  शमशाद  बेगम  के  समय  में  जो  और  भी  चर्चित  गायक  -  गायिका  थे  उनके  नाम  थे  नूरजहां,  सुरैया,  के. एल.  सहगल,  गीता दत्त,  उमा देवी,  आदि.  परन्तु  ये  सभी  फिल्मों  में  अभिनय  भी  करते  थे.  क्योंकि  तब  जिनमें  गीत  गाने  की  कला  थी  या  जिनका  स्वर  अच्छा  था  ऐसे  कलाकारों  का  ही  फिल्मों  में  चयन  किया  जाता  था.  परन्तु  शमशाद  बेगम  ऐसी  पहली  गायिका  थीं  जिन्होंने  महिला  कलाकारों  के  लिए  पार्श्व  गायन  किया


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उनकी  आवाज़  में  इतना  आकर्षण  था  कि  वह  जो  भी  गुनगुनाती  थीं  तो  सुनने  वाले  वहीं  रुक  जाते  थे.  जब  उनका  प्रथम  गीत  रिकॉर्ड  हुआ  तो  वह  पूरे  हिन्दुस्तान  में  प्रसिद्ध  हुईं.  उस  समय  देश  का  बंटवारा  नहीं  हुआ  था.  उन्हें  विवाह  तथा  अन्य  सांस्कृतिक  समारोहों  में  विशेष  रूप  से  गीत  गाने  के  लिए  बुलाया  जाता  था  और  शमशाद  बेगम  की  रूचि  भी  ऐसे  कार्यक्रमों  में  हुआ  करती  थी.  विवाह  समारोहों  में  वह  दुल्हन  को  देख  -  देख  कर  उसकी  प्रशंसा  अपने  गीतों  में  करती  थीं  तो  महिलाओं  के  बीच  में  तालियों  की  गड़गड़ाहट  होती  थी.  दूसरे  दिन  यह  चर्चा  होती  थी  कि  शादी  वाले  घर  में  शमशाद  बेगम  गीत  गाने  आई  थीं